वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्तव्य मार्ग पर डट जावें |
पर सेवा पर उपकार में हम,
निज जीवन सफल बना जावें ।।1।।
हम दीन दुखी निबलों विकलों
के सेवक बन सन्ताप हरें |
जो हों भूले भटके बिछुड़े
उनको तारें ख़ुद तर जावें ।।2।।
छल-द्वेष-दम्भ-पाखण्ड- झूठ,
अन्याय से निशदिन दूर रहें |
जीवन हो शुद्ध सरल अपना
शुचि प्रेम सुधारस बरसावें ।।3।।
निज आन मान मर्यादा का
प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे |
जिस देश जाति में जन्म लिया
बलिदान उसी पर हो जावें ।।4।।